इस बार दिवाली कब है, इसे लेकर बहुत से लोग असमंजस में थे, तो कुछ लोग दो गुट में बंटे हुए थे। जहां कुछ लोग 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने की बात कर रहे थे, तो वहीं कुछ लोग इसे 1 नवंबर को मनाने की सोच रहे थे। दिवाली डेट को लेकर यह कन्फ्यूजन अब दूर हो गया। धर्माचार्यों और विद्वानों ने एक सभा कर सही तारीख की घोषणा कर दी है। आइए जानते हैं, दिवाली की डेट को लेकर कन्फ्यूजन क्यों था, धर्मगुरुओं ने किस डेट को सही करार दिया है और क्यों?
दिवाली डेट को लेकर क्यों था कन्फ्यूजन?
हिन्दू परंपरा में दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होकर 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। अमावस्या तिथि की यह अवधि ही समस्या का जड़ थी। यह गुट का तर्क है कि चूंकि अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की शाम से ही शुरू हो जाती है, इसलिए दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनानी चाहिए। वहीं दूसरे गुट का मानना है कि उदयातिथि नियम से दिवाली 1 नवंबर को ही मनानी चाहिए। इसलिए इस बार दिवाली डेट को लेकर काफी असमंजस की स्थिति थी।
धर्मगुरुओं ने इस तारीख को माना सही
मंगलवार 15 अक्टूबर, 2024 को जयपुर स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय विद्वत् परिषद की विद्वत् धर्मसभा में सर्व-सम्मति से यह निर्णय दिया कि 31 अक्टूबर, 2024 को दीपावली मनाना उचित और शास्त्रसम्मत है। भारतीय विद्वत् परिषद ने एक विज्ञप्ति जारी कर बताया, “संपूर्ण भारत में दीपावली का महापर्व दीपवाली इस वर्ष 31 अक्टूबर, 2024 को मनाना शास्त्रसम्मत है एवं इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य दिन दीपावली मानना शास्त्रानुसार नहीं है।”
अखिल भारतीय विद्वत् परिषद की विद्वत् धर्मसभा प्रख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. रामपाल जी शास्त्री की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस धर्मसभा में पूरे देश से 100 से अधिक ज्योतिषियों, विद्वानों और धर्माचार्यों ने भाग लिया। सबकी सहमति मिलने के बाद ही 31 अक्टूबर, 2024 को दिवाली मनाने की तारीख तय हुई।
अमावस्या की तिथि को देखते हुए विद्वत् धर्मसभा में ज्योतिषियों, विद्वानों और धर्माचार्यों ने निर्णय दिया कि दीपावली का त्योहार ऐसा पर्व है, जो रात को मनाया जाता है। शास्त्रों में अमावस्या के दिन रात को पूजा करने का महत्व है। दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की आराधना भी रात को ही की जाती है। 31 अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि रहेगी, लेकिन 1 नवंबर की रात आने से पहले वह समाप्त हो जाएगी। 1 नवंबर की रात को प्रतिपदा तिथि होगी। शास्त्रों के हिसाब से 31 अक्टूबर की रात्रि में दीपावली पूजन करना उचित है। सभी को इस साल दीपावली 31 अक्टूबर को मनानी चाहिए।