भोपाल: गुजरात एटीएस की टीम ने मध्य प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर राजधानी भोपाल में एमडी ड्रग्स को लेकर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। फैक्ट्री में बोरियों में मौत का सामान पैक किया जा रहा था। ड्रम्स में करोड़ों की ड्रग्स रखी गई थी। इतना ही नहीं दूध के डब्बों में MD ड्रग्स भरकर रखे गए थे। हैरानी की बात यह है कि गुजरात एटीएस को इसकी भनक लग गई, लेकिन एमपी पुलिस लापरवाही की नींद में सोई हुई थी। क्या है पूरा मामला आइए विस्तार से जानते हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बगरोदा इंडस्ट्रियल एरिया में बीते एक साल से धड़ल्ले से मौत का कारखाना चल रहा था। बाहर से सामान्य कारखानों की ही तरह दिखने वाली इस फैक्ट्री में खतरनाक ड्रग्स बनाई जा रही थी। इस फैक्ट्री में जानलेवा केमिकल्स को मिलाकर एमडी ड्रग्स बनाने का काम किया जा रहा था। ड्रग्स तैयार होने के बाद फैक्ट्री से प्रदेश के बड़े शहरों समेत देशभर में सप्लाई मौत का नशा सप्लाई करने का काम बेरोकटोक चल रहा था।
राजधानी में एमडी ड्रग्स की बड़ी खेप मिलने से हड़कंप
वहीं, राजधानी भोपाल में एमडी ड्रग्स की बड़ी खेप मिलने से हड़कंप (Madhya Pradesh Police Action) मच गया है। नारकोटिक्स कंट्रोल और गुजरात एटीएस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए करीब 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा की नशे की खेप बरामद की है। सबसे बड़ी बात यह है कि पूरी कार्रवाई की भनक स्थानीय पुलिस को भी नहीं लगी। फैक्ट्री से 907 किलो 9 ग्राम एमडी सॉलिड और लिक्विड फॉर्म में मिली और करीब 500 किलो कच्चामाल बरामद किया गया है, जिसकी बाजार में कीमत 1814 करोड़ 18 लाख रुपए है।
क्या है मेफेड्रोन ड्रग्स ?
जानकारी के अनुसार, मेफेड्रोन ड्रग्स यानी MD एक नशीली दवा (What is MD Drugs) है जो अवैध रूप से बनाई जाती है। इसे कारखानों में कई खतरनाक केमिकल को मिलाकर बनाई जाती है। MD में मिथाइलीनडाईऑक्सी और मेथाम्फेटामाइन यानी एक्सटैसी मिलाया जाता है। एक्स्टसी एक उत्तेजक दवा है जो मतिभ्रम पैदा कर सकती है। इसलिए इसे डिजाइनर ड्रग के रूप में जाना जाता है। लिक्विड और गोली या पाउडर के रूप में भी इसका सेवन किया जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार MD लेने वाला व्यक्ति शुरुआत में उत्तेजना महसूस करता है। धीरे-धीरे आदत लगने पर डिप्रेशन में जाकर सुसाइड कर लेता है।
बता दें कि, बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में भोपाल पुलिस ने फैक्ट्री के मालिकों एस. के. सिंह और जयदीप के खिलाफ धारा 223 BNS का मामला दर्ज किया है। कटारा हिल्स क्षेत्र के प्लॉट नंबर 63 बगरौदा पठार बंद फैक्ट्री (टीन शेड में संचालित फैक्ट्री) में यह औद्योगिक प्लॉट साल 2017-18 में उद्योग विभाग द्वारा अलॉट किए गए थे, जो 2022 में बन कर तैयार हुए। एमपीआईडीसी के डेटा के अनुसार यह प्लॉट मेसर्स वास्तुकार प्रोप्राइटर के नाम से रजिस्टर्ड है, जिसका मालिक जयदीप सिंह मूल रूप से है। 2 साल बाद यह प्लॉट भोपाल के रहने वाले भेल के रिटायर्ड कर्मचारी एस. के. सिंह को बेच दिया गया, जिसने 6 माह पहले अमित चतुर्वेदी निवासी कोटरा सुल्तानाबाद को किराए पर दिया। जिसके द्वारा फैक्ट्री में अवैध कार्य किया गया। फिलहाल, इस संबंध में न तो ए. के. वी. न. और न ही संबंधित पुलिस को सूचना नहीं दी गई ।
पुलिस कमिश्नर ने आदेश का उल्लंघन (Bhopal MD Drugs News) माना है , नौकर, कारीगर, सहायक निर्माण आदि की मजदूरी में लगे व्यक्तियों की जानकारी देना शामिल था, लेकिन मालिकों द्वारा इस संबंध में कोई सूचना पुलिस को नहीं दी गई। जिस पर से धारा-163 BNSS के तहत जारी वैध आदेश के उल्लंघन पर भोपाल पुलिस थाना-कटारा हिल्स द्वारा धारा 223 BNS 2023 का अपराध दर्ज किया गया है।
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने पुलिस को बधाई दी
वहीं, इस पूरे मामले में गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने गुजरात ATS और मध्य प्रदेश पुलिस को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म x पर लिखा है, “गुजरात ATS तथा NCB दिल्ली द्वारा भोपाल में की गई संयुक्त कार्रवाई के दौरान मध्य प्रदेश पुलिस के द्वारा सराहनीय मदद की गई। ऑपरेशन की सफलता में मध्य प्रदेश पुलिस के अमूल्य योगदान के लिए मैं उन्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। इस ऑपरेशन की आगे की इन्वेस्टीगेशन में भी मध्य प्रदेश पुलिस गुजरात एटीएस की निरंतर मदद कर रही है। इस तरह के विभिन्न राज्यों तथा केंद्रीय एजेंसीज़ के समन्वित प्रयासों से ही नार्कोटिक्स के विरुद्ध की लड़ाई को जीता जा सकता है।”