इस मंदिर में होती है भेड़ियों की पूजा

उत्तर प्रदेश में भगवान शिव, गणेश जी से लेकर माता लक्ष्मी आदि के कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं। लेकिन आज हम आपको किसी भगवान को समर्पित मंदिर के बार में नहीं बल्कि उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर भेड़ियों की पूजा होती है। रोजाना बड़ी संख्या में लोग यहां पर भेड़ियों की पूजा करने के लिए आते हैं। चलिए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास से जुड़ी रोचक कहानी के बारे में।

गोरखपुर में मौजूद स्ती मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर गौर ब्लॉक है, जहां पर राजस्व ग्राम चुरिहारपुर में एक ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। स्थानीय लोगों के बीच इस मंदिर को बाबा विगवा वीर और विगवावीर बाबा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, विगवावीर बाबा मंदिर आज से करीब 200 साल पुराना है। इस मंदिर में किसी भगवान की मूर्ति नहीं है, बल्कि भेड़ियों की मूर्तियां हैं। कहा जाता है कि जो लोग इस मंदिर में सच्चे दिल से भेड़ियों की पूजा करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है।

200 साल पुराना है इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, आज से करीब 200 साल पहले पिपरिया का एक यादव मुसही नामक जगह जा रहा था। इस दौरान उसे भेड़िए का जोड़ा संभोग करते हुए दिखाई दिया, जिसके बाद उसने भेड़िए के ऊपर ताबड़तोड़ वार किए। युवक के वार से उसी समय एक भेड़िए की मृत्यु हो गई, लेकिन एक भेड़िया वहां से भाग गया। अगले दिन जब वो युवक उसी रास्ते से जा रहा था, तो उस वक्त दूसरे भेड़िए ने उसके ऊपर ताबड़तोड़ वार किया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इस बात की जानकारी धीरे-धीरे पूरे गांव में फैल गई थी कि एक युवक ने भेड़िए को मारा था, जिसके बाद उसके साथी ने उसे मार डाला।

कहा जाता है कि इसके बाद गांववालों को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ा। जब वो चक्की से गेहूं पीसते थे, तो उससे आटा नहीं निकलता था। तब कुछ धार्मिक लोगों ने कहा, ये इसलिए हो रहा है कि क्योंकि यहां पर एक भेड़िए की हत्या हुई है, जो रोजाना सारा आटा चट कर जाता है। इसके बाद उस गांव में दो भेड़ियों का मंदिर बनाया गया, जिसे आज बाबा बिगवा वीर के नाम से जाना जाता है।

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