इस साल दीपावली मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति है। संशय है कि दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाए या 1 नवंबर को। आखिरकार इसका फैसला हो गया है। अब 31 अक्टूबर को नहीं, 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। इसकी ज्योतिष एवं विद्वत परिषद द्वारा पुष्टि भी की गई।
इंदौर में संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित बैठक में 90 फीसद से अधिक पंचांग निर्माताओं ने 1 नवंबर को त्योहार मनाने के निर्णय का समर्थन किया। विद्वानों ने बताया कि यह तिथि धार्मिक शास्त्रों के अनुरूप है।
क्यों 1 नवंबर सही तिथि है : वैदिक विद्वान पंडित रामचंद्र शर्मा ने कहा कि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों ही अमावस्या को पड़ते हैं, लेकिन धार्मिक ग्रंथों में दूसरी अमावस्या को दीपावली मनाने की सलाह दी गई है, जो इस साल 1 नवंबर को है। यह दिन शुक्रवार से भी मेल खाता है, जो धन की देवी लक्ष्मी से जुड़ा दिन है, जो इसे एक शुभ अवसर बनाता है।
विद्वानों के अनुसार, 1 नवंबर को दीपावली मनाना शास्त्रों के अनुसार बेहतर है, क्योंकि ज्योतिषीय स्थितियों में स्वाति नक्षत्र और प्रीति व आयुष्मान योग शामिल हैं।
पारंपरिक बनाम कम्प्यूटरीकृत पंचांग :
आचार्य शर्मा ने बताया कि भारत में दो तरह के पंचांग मौजूद हैं। पारंपरिक और कम्प्यूटरीकृत, जबकि पारंपरिक पंचांग बहुत कम हैं, देशभर में 150 से ज्यादा कम्प्यूटरीकृत पंचांग हैं और इनमें से ज्यादातर का सुझाव है कि दिवाली मनाने के लिए 1 नवंबर आदर्श तारीख है।
छह दिवसीय उत्सव :
1 नवंबर को दीपावली के साथ, यह उत्सव छह दिनों तक चलेगा। इसकी शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस से होगी, उसके बाद 30 को दीपदान, 31 अक्टूबर को चतुर्दशी, 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन, 2 को गोवर्धन पूजा और 3 नवंबर को भाई दूज होगी।
दीपावली की घोषणा में देरी :
त्योहार की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति के कारण, सर्राफा व्यापारी, जो आमतौर पर दिवाली की घोषणाएं (पना) छापते हैं, उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है। आम तौर पर, ये घोषणाएं काफ़ी पहले ही छप जाती हैं।