ग्वालियर। महिला अपने जीवन में दो महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती है। एक शिक्षक के रूप में और एक माँ के रूप में। माँ के रूप में जहाँ वह अपने बच्चे का पालन पोषण करती है, वहीं बच्चों के पहले गुरू के रूप में प्रारंभिक शिक्षा और जीवन मूल्य सिखाने का काम भी करती है। इस प्रकार महिलाएँ दोनों रूपों में देश एवं समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इस आशय के विचार प्रदेश की पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर ने व्यक्त किए। श्रीमती गौर रविवार को डबरा के शिव गार्डन में आयोजित हुए प्रांतीय महिला शिक्षक सम्मेलन के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहीं थीं।
राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीमती गौर ने कहा कि प्रदेश सरकार हर समय महिला शिक्षकों के साथ खड़ी है । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृतव में प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण के लिये पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है।
महिला शिक्षकों के प्रांतीय सम्मेलन के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष श्री क्षत्रवीर सिंह राठौर ने की। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री श्रीमती इमरती देवी, नईदिल्ली से पधारीं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की सचिव एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. गीता भट्ट एवं वरिष्ठ जनप्रतिनिधि श्री लोकेन्द्र पाराशर बतौर विशिष्ट अतिथि मंचासीन थे। सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से पधारीं महिला शिक्षकों ने भाग लिया।
राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीमती गौर ने कहा कि माँ अपने बच्चे के जीवन में शुरुआती शिक्षा, संस्कार और मूल्यों का संचार करती है। जीवन का हर पहलू चाहे वह नैतिक हो या व्यावहारिक, माँ का मार्गदर्शन बच्चे को आगे बढ़ने में मदद करता है। शिक्षित समाज के निर्माण में महिला शिक्षक बड़ा योगदान दे रही हैं। महिला शिक्षक बच्चों को ज्ञान, आत्मविश्वास और आदर्शों की ओर प्रेरित करतीं हैं।
श्रीमती गौर ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में हर शिक्षक की भूमिका विकसित भारत के निर्माण में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षक न केवल शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि वे देश की अगली पीढ़ी को नैतिकता, जिम्मेदारी और नेतृत्व का पाठ भी पढ़ाते हैं। उनके प्रयासों के बिना एक आत्मनिर्भर, समृद्ध और विकसित भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।
पूर्व मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने कहा कि महिला आज हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत से देश का नाम रोशन कर रही हैं। महिलाओं ने अपनी क्षमता और दृढ़ संकल्प से साबित कर दिया है कि वे समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। माँ से ही बच्चे अपनी पहली शिक्षा, संस्कार और नैतिक मूल्य सीखते हैं।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती वीरांगनाओं की धरती है। इस धरती पर रानी लक्ष्मीबाई, माता अहिल्याबाई होल्कर, अवंतीबाई लोधी व झलकारी बाई जैसी वीरांगनाओं की गाथाएँ इस धरती के कण-कण में समाईं हैं। इन सभी ने अपने वीरतापूर्ण कृत्यों से मध्यप्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण देश को राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ाया।
वरिष्ठ जनप्रतिनिधि श्री लोकेन्द्र पाराशर ने कहा कि गुरू अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। महिला शिक्षिका की भूमिका और भी अहम होती है। महिला शिक्षिकायें माँ की भूमिका के साथ-साथ समाज को शिक्षा का प्रकाश देने का काम भी करती हैं।
आरंभ में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीमती गौर एवं अन्य अतिथियों ने माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना एवं दीप प्रज्ज्वलन कर प्रांतीय महिला शिक्षक सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्कूली बालिकाओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। साथ ही एक नन्ही-मुन्नी बालिका द्वारा भगवान श्रीगणेश की वंदना पर मनोहारी शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अर्चना सगर द्वारा किया गया।