ग्वालियर में 350 साल पुराने अर्जी वाले गणेश मंदिर । MLB रोड फूलबाग गुरुद्वारा के सामने सड़क किनारे विराजमान यह अर्जी वाले गणेश कैसे प्रकट हुए यह तो किसी को याद नहीं है, लेकिन 42 साल पहले हुई एक घटना के बाद उनका यह वर्तमान स्वरूप सामने आया है।
वर्षों से एक मोटे से पत्थर की पूजा शहर के लोग करते थे, लेकिन 1980 में अचानक पत्थर पर चढ़ा करीब एक क्विंटल वजन का चोला अचानक झड़ गया। उसके बाद गणेश प्रतिमा अस्तित्व में आई थी। यहां गणेशजी के साथ दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर भक्त अपनी अर्जी लगाकर 11 बुधवार पूरे कर लिए तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। अर्जी वाले गणेश को राजस्थान से बनकर आए मोटी बूंदी के लड्डू का ही भोग लगता है।
मंगलवार को गणेश चतुर्थी के साथ ही 11 दिन के गणेशोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। घर-घर गली-गली गणपति बप्पा की धूम मची है। दैनिक भास्कर हर दिन आपको ग्वालियर के एक प्रसिद्ध और चर्चित गणेश मंदिर के इतिहास और परंपरा से परिचित करा रहा है। आज हम शहर के बच्चे, बूढ़े और जवान के बीच चर्चित अर्जी वाले गणेश मंदिर की कहानी आपको बताएंगे।
बता दें कि यह मंदिर बीच शहर में फूलबाग गुरुद्वारा के सामने MLB रोड़ किनारे बना है। जानकारों की माने तो इन्हें कांच वाले गणेश, अर्जी वाले गणेश व कुंआरों के गणेश नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के वर्तमान स्वरूप की स्थापना 1980 में हुई थी। पर माना जाता है कि यह गणेश प्रतिमा लगभग 350 साल पुरानी है। जितना पुराना इनका इतिहास है उतनी ही इनकी महिमा और इनसे जुड़ी रोचक कहानियां भी है। अर्जी वाले गणेश के दरबार में भक्तों की लाइन हमेशा लगी ही रहती है। बुधवार के दिन तो यहां पैर रखने के लिए जगह तक नहीं होगी। बाहर सड़क पर घंटो जाम लगा रहा है। युवाओं के साथ ही शहर के व्यापारी और अन्य गणमान्य लोग भी अर्जी वाले गणेश के प्रति अटूट श्रद्धा रखते हैं।
खास है इस मंदिर की गणेश प्रतिमा
धर्म के जानकारों की माने तो यह दुर्लभ प्रतिमा है। गणेश प्रतिमा के साथ ही रिद्धि-सिद्धि हैं जाे उनके दोनों तरफ विराजमान हैं। गणेशजी के उल्टे हाथ में विद्या है तो सीधे हाथ में फरसा। नीचे दो मूसक हैं। बहुत की कम प्रतिमाओं में यह सभी भगवान इस मुद्रा मंे एक साथ होते हैं। यही कारण कि यह बहुत ही सिद्धियोग वाले गणेश माने जाते हैं। यहां सच्चे दिल से मांगी गई मनोकामना पूरी होती है।
कुंआरे यहां लगाते हैं शादी के लिए अर्जी
शहर के फूलबाग इलाके में विराजमान अर्जी वाले गणेश को सिंधिया रियासत कालीन बताया जाता है। गणपति बप्पा के दरबार में बच्चे, बुजुर्ग और जवान सभी अपनी-अपनी अर्जी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां की व्यवस्थाओं को संचालित करने वाले गोकुल प्रसाद की माने तो यहां सबसे ज्यादा युवा भक्त आते हैं। ऐसे युवा जिनकी शादी नहीं हो रही हो वह यहां आकर अर्जी लगाते हैं और 11 बुधवार परिक्रमा करते हैं। 11 बुधवार पूरे होने से पहले शादी की बाधा दूर हो जाती है। साथ ही युवा नौकरी के लिए भी अर्जी लगाते हैं। यहां अर्जी पर सुनवाई होती है इसलिए यह अर्जी वाले गणेश कहलाते हैं।
व्यापारियों के हैं खास गणेश, अफसर भी टेकते हैं माथा
मंदिर के प्रबंधक गोकुल प्रसाद ने बताया कि “अर्जी वाले गणेश’ के दरबार में युवाओं के साथ-साथ व्यापारी काफी संख्या में यहां पर आते हैं, मान्यता है कि किसी भी व्यापारी को अगर व्यापार में घाटा होने लगता है तो इनकी शरण में आकर सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा शहर के अधिकारी जिनमें IAS, IPS भी भगवान गणेश की शरण में आते हैं और अर्जी लगाते हैं।
राजस्थान की मोटी बूंदी के लड्डू से लगता है भोग
मंदिर के पुजारी राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि अर्जी वाले गणेश की प्रतिमा 1980 को चोला छोड़ने के बाद वर्तमान स्वरूप में आई है। उन्होंने बताया कि गणेश जी का भोग में राजस्थान से आए मोटी बूंदी के लड्डू का ही भोग लगता है। पूरे शहर में उनकी ख्याति है।