देश में जन्माष्टमी की धूम है। कृष्ण मंदिरों में लोगों की कतारें लगी हुई हैं। लोग नाच-गाकर भगवान कृष्ण के जन्मदिन की खुशी मना रहे हैं। गुजरात और महाराष्ट्र में कई जगहों पर दही-हांडी का खेल भी हो रहा है। मुंबई में इसरो को समर्पित एक दही-हांडी तैयार की जा रही है। इसमें इसरो रॉकेट का मॉडल लगाया गया है।
मुंबई में ही महिलाओं के समूह ने काली मां का स्वरूप धारण किया, दही हांडी खेली और डांस भी किया। गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर से श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण की झांकी निकाली। देशभर के मंदिरों को आज सुंदर रोशनी से सजाया गया है। नोएडा, दिल्ली समेत देश के तमाम इस्कॉन मंदिरों में रात से ही भजन-पूजन चल रहा है। गुजरात के राजकोट में मंगलवार से ही जन्माष्टमी का मेला शुरू हो गया है। ये मेला 9 सितंबर तक जारी रहेगा। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस साल दही हांडी उत्सव के लिए प्रो गोविंदा नाम से एक कॉम्पिटिशन आयोजित किया है, जिसमें जीतने वाले को कैश प्राइज दिया जाएगा।
जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण को पहनाए 100 करोड़ के जेवरात
ग्वालियर में गुरुवार को जन्माष्टमी के मौके पर शहर के फूलबाग चौराहे पर स्थित गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। जहां राधा-कृष्ण की मूर्ति को सिंधिया रियासत के समय बने 100 करोड़ के हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे बेशकीमती रत्नों से जड़े बेशकीमती गहनों से श्रृंगार किया गया। इन गहनों को कड़ी सुरक्षा के बीच बैंक के लॉकर से निकालकर मंदिर तक पहुंचाया गया था। इससे पहले राधा कृष्ण की मूर्ति का दूध, दही और जल से अभिषेक करने के उपरान्त इन बेशकीमती गहनों को राधा-कृष्ण को पहनाकर आरती उतारी गई, भगवान राधा-कृष्ण की आरती करने के बाद भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इन बेशकीमती गहनों को भगवान राधा कृष्ण को पहने हुए देखने के लिए मंदिर के बाहर सैकड़ो श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी। मंदिर के पट खुलते ही मंदिर के बाहर खड़े से श्रद्धालुओं मंदिर के अंदर पहुंचे और राधा कृष्ण की दर्शन किए, पूरी साल में एक दिन के लिए गोपाल मंदिर के पद श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं।
मंदिर की स्थापना 102 साल पहले हुई थी
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे। इनमें राधा-कृष्ण के 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी जिस पर हीरे और मालिक लगे हैं, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं। हर साल जन्माष्टमी पर इन जेवरातों से राधा-कृष्ण का शृंगार किया जाता है। इस स्वरूप को देखने के लिए भक्त सालभर का इंतजार करते हैं। यही वजह है कि भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है। इनमें विदेशी भक्त भी शामिल रहते हैं।