उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 30 अगस्त की सुबह सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में एक महिला कॉन्स्टेबल खून से लथपथ मिली थी। सीट के नीचे मिली कॉस्टेबल के कपड़े अस्त-व्यस्त थे। चेहरे पर चाकू के गहरे निशान थे। महिला कॉन्स्टेबल का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया।हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने रविवार रात 9 बजे स्पेशल बेंच गठित की और अपने सरकारी आवास पर मामले की सुनवाई शुरू की। बेंच ने घटना पर नाराजगी जताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट आज दोपहर एक बार फिर बैठेगा। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की बेंच सुनवाई करेगी। बेंच ने सरकारी वकील एके संड से अब तक की कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है और कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है।कोर्ट ने रविवार को हुई सुनवाई के दौरान जांच से जुड़े किसी सीनियर अफसर को भी पेश होने का आदेश दिया है। अफसर को कोर्ट में मौजूद होकर यह बताना होगा कि इस मामले में अब तक क्या एक्शन हुआ है। सरकार को भी यह बताना होगा कि इस मामले में अब तक आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी हुई या नहीं?सुनवाई के दौरान रेलवे की तरफ से केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को मौजूद रहना होगा। रविवार रात को इस मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ने यूपी सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल, शासकीय अधिवक्ता एके संड, एडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट जेके उपाध्याय और एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल प्रियंका मिड्ढा को तलब किया है। हाईकोर्ट के वकील राम कुमार कौशिक ने भी इस मामले में चीफ जस्टिस को एक लेटर देकर उनसे इसे पीआईएल के तौर पर स्वीकार किए जाने का अनुरोध किया है।